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Post by geetamanika on Dec 10, 2013 23:16:21 GMT 5.5
श्रीभगवानुवाच । पश्य मे पार्थ रूपाणि शतशोऽथ सहस्रशः । नानाविधानि दिव्यानि नानावर्णाकृतीनि च ॥ ५॥ dl.dropbox.com/u/55233059/C11/SGeeta1105.mp3The Supreme Lord said: O Arjuna, behold My hundreds and thousands of multifarious divine forms of different colors and shapes.(11.05) श्रीभगवान् ने कहा -- हे पार्थ! मेरे सैकड़ों तथा सहस्रों नाना प्रकार के और नाना वर्ण तथा आकृति वाले दिव्य रूपों को देखो। ।।11.5।। શ્રી ભગવાન કહે છે: જો તું મારા રૂપને અનેક રૂપ ભર્યું, અનેકરંગી રૂપ તે, દિવ્ય વિરાટ ધર્યું. .. ૫.. --------- पश्यादित्यान्वसून्रुद्रान् अश्विनौ मरुतस्तथा । बहून्यदृष्टपूर्वाणि पश्याश्चर्याणि भारत ॥ ६॥ dl.dropbox.com/u/55233059/C11/SGeeta1106.mp3See the Adityas, the Vasus, the Rudras, the Ashvins, and the Maruts. Behold, O Arjuna, many wonders never seen before. (11.06) हे भारत! (मुझमें) आदित्यों, वसुओं, रुद्रों तथा अश्विनीकुमारों और मरुद्गणों को देखो, तथा और भी अनेक इसके पूर्व कभी न देखे हुए आश्चर्यों को देखो। ।।11.6।। રુદ્ર મરુત આદિત્ય ને અશ્વિનીકુમારો, અચરજકારક જો વળી કૈં મહિમા મારો. ---------
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